चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे ‘कौटिल्य’ नाम से भी विख्यात हैं। वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे। उन्होंने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया।
संकट आने पर सभी एक जुट हो जाना चाहिए. संकट से लड़ने के लिए भी एकता की जरुरत पड़ती है. जब सभी का सहयोग मिलता है तभी संकट दूर होता है.
मतभेद भूला देना चाहिए: संकट की घडी जब आ जाए तो आपसी मतभेदों को पूरी तरह से भूला देना चाहिए. मतभेद दूर कर संकट से उभरने की युक्ति लगानी चाहिए. सद्भाव और साहकारिता की भावना से संकट को समाप्त किया जा सकता है.
प्रयासों में खोट नहीं देखना चाहिए: संकट से उभरने के लिए जब प्रयास किए जाते हैं तो उसमें कमी नहीं निकालनी चाहिए. ऐसे समय में जो कमियां निकालने में अपना समय गंवाते हैं वे दरअसल संकट को बल देने का काम करते हैं. संकट के समय गंभीरता और धैर्य को नहीं त्यागना चाहिए